प्रायद्वीपीय भारत का पठार
प्रायद्वीपीय भारत के पठार के अंतर्गत निम्नलिखित संरचनाएं शामिल हैं।
1- अरावली पर्वत,
2- मालवा पठार
3- विंध्य पर्वत
ब्रम्हपुत्र और गंगा नदियों ने अपने जलोढ़ निक्षेपों से भर दिया है इस गैप को राजमहल गारो गैप तथा मालदा गैप कहते हैं।
शिलांग पठार
शिलांग पठार के अंतर्गत 5 पहाड़ियां शामिल है।
1- गारो – नोकरेक
2- खासी – मेघालय
3- जयंतिया
4- मिकिर – असम
5- रेंगमा
विंध्य पर्वत श्रेणी
– विंध्य पर्वत श्रेणी मालवा पठार के दक्षिण में है।
– विंध्य पर्वत श्रेणी का विस्तार पूरी तरह से मध्य प्रदेश में है।
– विंध्य पर्वत के रूप में भांडरे पहाड़ी तथा कैमूर पहाड़ी के नाम से जाना जाता है।
– विंध्य पर्वत के दक्षिण में नर्मदा भ्रंश घाटी है।
– नर्मदा भ्रंश घाटी के दक्षिण में सतपुड़ा पहाड़ी है।
– सतपुड़ा पहाड़ी के दक्षिण में तापी भ्रंश घाटी है।
सतपुड़ा पर्वत श्रेणी
सतपुड़ा पर्वत एकमात्र ब्लॉक पर्वत का उदाहरण है।
– सतपुड़ा पर्वत के उत्तर में नर्मदा भ्रंश घाटी है तथा दक्षिण में तापी नदी की भ्रंश घाटी है।
ब्लॉक पर्वत = दो भ्रंश घाटी यों के बीच में स्थित पर्वत श्रेणी को ब्लॉक पर्वत श्रेणी कहते हैं।
– ऐसा भूभाग जिसके दोनों तरफ भ्रंश घाटी होने के कारण वह पर्वत की तरह दिखाई देने लगता है ब्लॉक पर्वत कहलाता है।
– सतपुड़ा पर्वत पश्चिम से पूर्व की ओर तीन पहाड़ियों के रूप में विस्तृत है।
– सबसे पश्चिमी पहाड़ी – राजपीपला पहाड़ी
बीच वाला पहाड़ी – महादेव पहाड़ी – धूपगढ़ चोटी सबसे पूर्वी पहाड़ी – मैकाल पहाड़ी – अमरकंटक चोटी
– सतपूड़ा की सबसे ऊंची वाली चोटी धूपगढ़ चोटी महादेव पहाड़ी पर है ।
– मैकाल पहाड़ी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर है।
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