गंगा नदी तंत्र
भारत में सबसे बड़ा नदी तंत्र गंगा नदी तंत्र है।
– भारत में सबसे बड़ा जल ग्रहण क्षेत्र गंगा नदी का है।
– गंगा नदी भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है।
– एक मुख्य नदी है तथा उसकी अनेक सहायक नदियां मिलकर नदी तंत्र का निर्माण करती हैं।
– गंगा नदी का निर्माण उत्तराखंड में दो धाराओं भागीरथी एवं अलकनंदा के मिलने से होता है।
– भागीरथी नदी उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और अलकनंदा नदी सतोपंथ ग्लेशियर से निकलती है।
– भागीरथी एवं अलकनंदा नदी देवप्रयाग में मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है।
अलकनंदा नदी
– अलकनंदा नदी का निर्माण दो धाराओं के मिलने से होता है।
1- धौली गंगा नदी
2- विष्णु गंगा नदी
– धौली गंगा नदी तथा विष्णु गंगा नदी सतोपंथ हिमानी से निकलती है तथा विष्णु प्रयाग में एक दूसरे से मिल जाती है और अलकनंदा नदी का निर्माण करती है।
अलकनंदा नदी से आगे कर्णप्रयाग में पिंडार नदी आकार मिलती है तथा कर्णप्रयाग के आगे रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी से मंदाकिनी नदी आकर मिलती है तथा रुद्रप्रयाग से आगे देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से भागीरथी नदी आकर मिलती है तथा भागीरथी एवं अलकनंदा की सयुंक्त धारा गंगा कहलाती है।
– गंगा नदी भारत में पांच राज्यों से होकर गुजरती है।
उत्तराखण्ड, उतर प्रदेश, बिहार, झारखंड, प० बंगाल
– गंगा नदी की सर्वाधिक लंबाई उत्तर प्रदेश में तथा सबसे कम लंबाई झारखंड में है।
– गंगा नदी हिमालय से निकलकर हरिद्वार में मैदानी भाग में प्रवेश करती है।
– पश्चिम बंगाल में गंगा नदी दो वितरिकाओं में विभाजित हो जाती है- हुगली एवं भागीरथी
– भागीरथी अर्थात गंगा बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है और हुगली नदी पश्चिम बंगाल में दक्षिण की ओर प्रवाहित होते हुए बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
– कोलकाता हुगली नदी के तट पर है।
– छोटानागपुर पठार के बीचों बीच भ्रंस घाटी में बहने वाली दामोदर नदी पूर्व में बहते हुए हुगली नदी से मिल जाती हैं।
– गंगा की मुख्यधारा भागीरथी अर्थात गंगा बांग्लादेश में पहुंचकर पदमा नदी कहलाती है बांग्लादेश में पदमा नदी से ब्रम्हपुत्र नदी आकर मिलती है तथा इन दोनों की संयुक्त धारा पदमा नदी ही कहलाती है आगे चलकर पदमा नदी में बराक या मेघना नदी आकर मिलती हैं तथा दोनों की संयुक्त धारा मेघना नदी कहलाती है तथा मेघना नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
– गंगा नदी का अंतिम नाम मेघना नदी है।
– बराक या मेघना नदी मणिपुर से निकलती हैं।
– बांग्लादेश में ब्रहमपुत्र को जमुना कहते है अर्थात पदमा और जमुना की सयुंक्त धारा को पदमा नदी कहते है।
डेल्टा
– जब नदी समुद्र तट के पास पहुंचती है तो नदी का ढाल बहुत कम हो जाता है जिसके कारण नदी पर्वतों से काट कर लाई गई अवसादों को अपने साथ प्रवाहित करने में सक्षम नहीं होती है परिणाम स्वरुप अवसाद नदियों के रास्ते में जमा होने लगते हैं तथा जमा अवसादों के कारण नदी का मार्ग अवरोधित होता है तथा नदी अनेक छोटी-छोटी धाराओं में बैठ जाती है ऐसे क्षेत्र को डेल्टा कहते हैं।
डेल्टा हमेशा समुद्र की ओर बढ़ते रहता है।
– गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है यहां के वन में सुंदरी नामक वृक्ष की अधिकता है जिसके कारण इसे सुंदरवन का डेल्टा भी कहते हैं।
– सुंदरवन डेल्टा का विस्तार हुगली नदी से मेघना नदी तक है।
– सुंदरवन का डेल्टा मैंग्रोव वनों के लिए जाना जाता है।
– डेल्टा क्षेत्र का कुछ भूभाग समुद्र में डूबा होता है उस समुद्री जल से डूबे हुए भूभाग में जो वनस्पतियां होती है उसे मैंग्रोव वनस्पति कहते हैं अर्थात मैंग्रोव वनस्पति लवणीय मृदा की वनस्पति है मैग्रोव वन की लकड़ी कठोर होती है तथा इन की छाल झारीय होती है मैंग्रोव वनस्पति के जडे पानी से बाहर निकलती रहती हैं।
– सुंदरवन डेल्टा में मैंग्रोवा, केसुरीना और सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं।
– बंगाल टाइगर सुंदरवन में अर्थात मैंग्रोव वन में पाया जाता है।
– भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में मैंग्रोव वन का क्षेत्रफल सर्वाधिक है तथा इसके बाद गुजरात राज्य में तथा तीसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है।
– गोदावरी और कृष्णा नदी के डेल्टा पर।
गंगा की सहायक नदियां
– सुविधा की दृष्टि से गंगा की सहायक नदियों को दो भागों में बांटा जाता है।
1- बायाॅ तट पर आकर मिलने वाली नदियां
2- दाया तट पर आकर मिलने वाली नदियां
– गंगा के दाएं तट पर मिलने वाली नदियां
– गंगा के दाहिने तट पर आकर मिलने वाली नदियां मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय पठार की नदियां हैं।
– यमुना गंगा की एकमात्र हिमालय की सहायक नदी है जो गंगा के दाहिनी तट पर आकर मिलती हैं।
– यमुना, चंबल, सिंध, बेतवा, केन, टोंस, सोन – पश्चिम से पूर्व की ओर
यमुना नदी
– यमुना गंगा की एकमात्र हिमालय सहायक नदी है जो गंगा के दाहिने तट पर आकर मिलती है तथा गंगा की अन्य हिमालय सहायक नदियां बाय तट पर मिलती हैं।
– यमुना नदी गंगा की सबसे लंबी सहायक नदी है।
– यमुना नदी उत्तराखंड में बंदरपूंछ चोटी पर यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और प्रयाग में गंगा नदी से मिल जाती है।
यमुना नदी की लंबाई – 1365 km
गोदावरी नदी की लंबाई – 1460 km
– यद्यपि चंबल, सिंध, बेतवा, केन नदियां गंगा नदी तंत्र का ही हिस्सा है लेकिन यह नदियां सीधे अपना जल गंगा नदी में ना गिराकर यमुना नदी में गिराती हैं।
– चंबल यमुना की सबसे सहायक नदी है
– चंबल, सिंध, बेतवा की नदियां प्रायद्वीपीय पठार के अंतर्गत मालवा के पठार से निकलती हैं।
टोंस और सोन नदी
– टोंस और सोन नदी प्रायद्वीपीय पठार से निकल कर सीधे अपना जल गंगा नदी में गिराती हैं।
– टोंस नदी इलाहाबाद जिले में गंगा नदी से मिलती हैं
– सोन नदी मैकाल पहाड़ी पर अमरकंटक चोटी से निकलकर पटना के समीप गंगा नदी से मिलती है।
बायाँ तट पर आकर मिलने वाली सहायक नदियां
– यमुना को छोड़कर गंगा के अन्य हिमालय सहायक नदियां गंगा के बायां तट पर आकर मिलती हैं।
– पश्चिम से पूर्व की ओर – रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोशी, महानदी
– रामगंगा, गोमती, घाघरा उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती है।
– गंडक एवं कोसी नदी बिहार में प्रवाहित होती है।
– महानंदा नदी बिहार एवं पश्चिम बंगाल की सीमा पर प्रवाहित होती है।
– गोमती नदी गंगा की एकमात्र ऐसी सहायक नदी है जो हिमालय पर्वतीय पर्वतीय क्षेत्र से ना निकलकर मैदानी क्षेत्रों से निकलती है।
– गोमती नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में तराई के मैदान में स्थित फुल्हर झील से होता है।
– लखनऊ एवं जौनपुर शहर गोमती नदी के तट पर बसे हैं।
– गंडक नदी को नेपाल में शालिग्राम या नारायणी नदी भी कहते हैं।
– कोसी नदी जो नेपाल से निकलकर बिहार में गंगा नदी से मिलती है इसे बिहार का शोक कहते हैं क्योंकि यह नदी अपना रास्ता बदलने की कुख्यात है।
कोसी नदी नेपाल में हिमालय पर्वत को काटकर बहुत सारी अवसादों अपने साथ लाती है तथा बिहार में नीक्षेपड़ के फलस्वरुप अपनी रास्ता को अवरुद्ध कर देती है क्योंकि बिहार में कोसी नदी की गति मैदानी भाग होने के कारण धीमी हो जाती है जिसके कारण नदी अपना मार्ग बदल देती है और बाढ़ आ जाती है। (गांव शहर में)
– महानंदा नदी गंगा की सबसे पूर्वी एवं अंतिम सहायक नदी है।
– महानदी का उद्गम पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग के पहाड़ियों से होता है।
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