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रविवार, 19 फ़रवरी 2023

सतपुड़ा पहाड़


सतपुड़ा पहाड़

सतपुड़ा रेंज मध्य भारत में स्थित पहाड़ियों और पहाड़ों की एक श्रृंखला है, जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों में फैली हुई है।  यह रेंज बड़े डेक्कन पठार का एक हिस्सा है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है।

सतपुड़ा रेंज समानांतर लकीरों और घाटियों से बनी है जो मोटे तौर पर पूर्व-पश्चिम में चलती हैं।  यह सीमा लगभग 900 किलोमीटर (560 मील) लंबी है और इसकी औसत ऊंचाई लगभग 900 मीटर (3,000 फीट) है।  रेंज में सबसे ऊंचा बिंदु धूपगढ़ है, जो मध्य प्रदेश में स्थित है और इसकी ऊंचाई 1,350 मीटर (4,429 फीट) है।

सतपुड़ा रेंज कई वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों का घर है, जिनमें सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, पेंच राष्ट्रीय उद्यान और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं।  ये पार्क अपने विविध वनस्पतियों और जीवों के लिए जाने जाते हैं, जिनमें बाघ, तेंदुए, सुस्त भालू और विभिन्न प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं।

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, सतपुड़ा रेंज अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जानी जाती है।  इस क्षेत्र में मानव बस्ती का एक लंबा इतिहास रहा है, और इस क्षेत्र में कई पुरातात्विक स्थल हैं, जिनमें भीमबेटका के शैलाश्रय शामिल हैं, जिनमें भारत में मानव जीवन के कुछ शुरुआती साक्ष्य शामिल हैं।


अपने अंदर की शक्ति को पहचानो ।

प्रिय मित्रों,

आज मैं आपसे प्रेरणा की शक्ति के बारे में बात करना चाहता हूं।  प्रेरणा वह प्रेरक शक्ति है जो हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने में सक्षम बनाती है।  यह आंतरिक आग है जो हमें बाधाओं या असफलताओं का सामना करते हुए भी आगे बढ़ाती है।

मुझे पता है कि आप में से हर एक का एक सपना या एक लक्ष्य है जिसे आप हासिल करना चाहते हैं।  शायद यह अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने, किताब लिखने या पहाड़ पर चढ़ने के लिए हो।  जो कुछ भी है, आपके भीतर उसे वास्तविकता बनाने की शक्ति है।  लेकिन आपको वहां पहुंचने के लिए प्रेरणा की जरूरत है।

मोटिवेशन कोई ऐसी चीज नहीं है जो आपको कोई और दे सकता है।  यह भीतर से आता है, और इसे विकसित करना आपके ऊपर है।  तो, आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?

सबसे पहले, आपको यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं।  अपने लक्ष्यों को लिखें और उन्हें छोटे, अधिक प्रबंधनीय चरणों में विभाजित करें।  इससे आपको ध्यान केंद्रित रहने और ट्रैक पर रहने में मदद मिलेगी।

दूसरा, अपने आप को सकारात्मक लोगों से घेरें जो आपको समर्थन और प्रोत्साहित करते हैं।  उन सलाहकारों या रोल मॉडल की तलाश करें जिन्होंने समान लक्ष्य हासिल किए हैं और उनके अनुभवों से सीखें।

तीसरा, अपनी सफलताओं का जश्न मनाएं, चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न हों।  हर कदम आगे सही दिशा में एक कदम है।  अपनी प्रगति को स्वीकार करें और इसे आगे बढ़ने के लिए ईंधन के रूप में उपयोग करें।

अंत में, कभी हार मत मानो।  याद रखें कि असफलता सफलता के विपरीत नहीं है, बल्कि यात्रा का एक हिस्सा है।  सीखने और बढ़ने के अवसरों के रूप में असफलताओं का उपयोग करें और आगे बढ़ते रहें।

अंत में, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आपके भीतर अपने सपनों को हासिल करने की शक्ति है।  प्रेरणा, कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी संभव है।  तो, वहाँ जाओ और इसे घटित करो।  मुझे तुम पर विश्वास है।

बुधवार, 17 जनवरी 2018

ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र

ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र


– ब्रम्हपुत्र नदी तीन देशों से होकर प्रवाहित होती है।  चीन, भारत, बांग्लादेश


– ब्रम्हपुत्र नदी को चार अलग-अलग नामों से जाना जाता है।


1- चीन के तिब्बत पठार पर सांगपो नदी


2- अरुणाचल प्रदेश में दिहांग नदी


3- असम घाटी में ब्रह्मपुत्र नदी


4- बांग्लादेश में जमुना नदी


– ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत के पास मानसरोवर झील के पास से निकलती है और हिमालय के साथ-साथ पूर्व की ओर बहती है।


–  ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय की सबसे पूर्वी चोटी नामचा बरवा के समीप यू (u) टर्न लेकर अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। तथा अरुणाचल प्रदेश में वृहद हिमालय को काटकर एक गहरे खड्ड या गार्ज का निर्माण करती है जिसे दिहांग गार्ज कहा जाता है।


अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र में दो नदियां आकर मिलती हैं।


दिबांग और लोहित तथा इसके बाद ब्रह्मपुत्र नदी असम घाटी के समतल मैदान में प्रवेश कर जाती है तथा असम में सदिय से धुबरी तक पूर्व से पश्चिम की ओर रैंप घाटी में प्रवाहित होती है इस रैंप घाटी के उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में शिलांग पठार है।


रैंप घाटी – संकरा समतल मैदान


– असम में ब्रह्मपुत्र नदी गुंफित जलमार्ग बनाती है इस जल मार्ग में ब्रम्हपुत्र नदी के बीच में कई नदी द्वीप पाए जाते हैं। इन नदी दीपों में माजुली सबसे बड़ा नदी द्वीप है।


– हाल ही में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने माजुली को सबसे बड़ा नदी दीप घोषित किया है।


– असम सरकार ने माजुली को नदी जिला घोषित किया है जो भारत का एकमात्र नदी जिला है।


– माजुली की भूमि अत्यधिक उपजाऊ होने के कारण यहां धान की खेती होती है।


– असम में सदियों से लेकर धुबरी तक प्रवाहित होने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी धुबरी के पास अचानक मुड़ कर बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है जहां इसे जमुना नदी के नाम से जाना जाता है।


– सिक्किम के जेमू ग्लेशियर से निकलने वाली तीस्ता नदी बांग्लादेश में जमुना नदी से मिल जाती है तथा बांग्लादेश में जमुना नदी पदमा नदी से मिलती है तथा दोनों की संयुक्त धारा पदमा नदी कहलाती है परंतु जब मणिपुर से निकलने वाली बराक या मेघना नदी बांग्लादेश में पदमा नदी से मिलती है तो संयुक्त धारा को मेघना नदी कहा जाता है तथा मेघना नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।


 ब्रह्मपुत्र की सहायक नदिया


– दिबांग, लोहित, तीस्ता, मानस (भूटान से निकलकर असम में ब्रह्मपुत्र से मानस नदी मिलती है) धनश्री, सुनानसिरी, जियाभरेली, पगलादिया, पिथुमारी |


भारत की भोगोलिक अवस्थिति और विस्तार

भारत की भोगोलिक अवस्थिति और विस्तार

भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हज़ार वर्ग किलोमीटर (सुविधा की दृष्टि से) है।


भारत उत्तरी और पूर्वी गोलार्ध का देश है|


उत्तरी गोलार्ध-भारत विषुवत रेखा के उत्तर में स्थित है ।


पूर्वी गोलार्ध-भारत ग्रीनविच देशांतर के पूर्व में स्थित है ।


भारत की मुख्य भूमि (द्वीपों को छोड़कर) का अक्षांशीय विस्तार- 8.4 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 37.6 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक है , जबकि देशंतारीय विस्तार 68.7 पूर्वी से 97.25 पूर्वी देशांतर तक है। इसप्रकार भारत के पूर्वी छोर (अरुणांचल प्रदेश) और पश्चिमी छोर (गुजरात) के मध्य लगभग 30 देशांतर रेखाओ का अंतर है।


पृथ्वी की संपूर्ण गोलाई 360 डिग्री है। पृथ्वी को 360 डिग्री घूमने में 24 घंटे ( अर्थात 1440 मिनट) का समय लगता है।
अतः पृथ्वी को 1 डिग्री देशांतर घुमने में 4 मिनट का समय लगता है। अतः पृथ्वी को 30 डिग्री देशांतर ( अरुणांचल प्रदेश से गुजरात तक) घूमने में 30 × 4 = 120 मिनट अर्थात 2 घंटे का समय लगता है। यही कारण है की अरुणांचल प्रदेश और गुजरात के समय में 2 घंटे का अंतर होता है। इसका अर्थ ये है कि यदि अरुणांचल प्रदेश में सुबह के पांच बजे सूर्योदय होगा तो गुजरात में सुबह लगभग 7 बजे सूर्योदय होगा क्योकि गुजरात पश्चिम में स्थित है और पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की और घूम रही है। इसलिए अरुणांचल प्रदेश में सूर्योदय पहले होगा और गुजरात में सूर्योदय 2 घंटे बाद होगा।


मानक समय


एक ही देश के पूर्वी और पश्चिमी छोर के मध्य अगर 2 घंटे का अंतराल होगा तो देश में कामकाज संबंधी अनेक समस्याएं पैदा हो जाएंगी इसलिए 82.5डिग्री पूर्वी देशांतर रेखा को भारत की मानक समय रखा गया है जो की उत्तर प्रदेश के इलाहबाद जिले के नैनी से हाकर गुजरती है। इसका अर्थ ये हुआ कि जो समय 82.50 डिग्री पूर्वी देशांतर पर होगा वही पूरे देश का समय स्वीकर किया जाएगा। अब सवाल है कि 82.50डिग्री पूर्वी देशांतर को ही भारत की मानक समय रेखा क्यों स्वीकार किया गया?


तो इसका जवाब ये है कि 68 डिग्री देशांतर (भारत का पश्चिमी छोर) और 97 डिग्री देशांतर (पूर्वी छोर) के बिलकुल मध्य में 82.50 डिग्री देशांतर आता है, इस कारण 82.50 डिग्री देशांतर देश के बिलकुल मध्य से गुजरता है। यही कारण है कि 82.50डिग्री पूर्वी देशांतर को भारत की मानक समय रेखा के रूप में स्वीकार किया गया है।
82.5 डिग्री पूर्वी देशांतर अर्थात ‘भारतीय मानक समय रेखा’ भारत के 5 राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, उड़ीसा और और आंध्र प्रदेश ) से होकर गुजरती है।


भारत का समय इंग्लैंड के समय से 5 घंटे 30 मिनट आगे है। आइये इसे समझते हैं कि कैसे आगे हैं। 0 डिग्री देशांतर लंदन के ग्रीनविच से गुजरता है जबकि 82.50 डिग्री पूर्वी देशांतर भारत से गुजरता है। पृथ्वी को 1 डिग्री देशांतर घूमने में 4 मिनट का समय लगता है। इसलिए 82.50 डिग्री घूमने में 82.5 × 4 = 330 मिनट अर्थात 5 घण्टे 30 मिनट का समय लगेगा। ध्यान दीजिए पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमती है। यही कारण है कि दिल्ली का समय लंदन के समय से साढ़े पांच घंटे आगे है।


अक्षांश रेखा:-


अक्षांश रेखा भारत के 8 राज्यों से होकर गुजरती है जो पश्चिम से पूर्व की और इस प्रकार है–


गुजरात – राजस्थान- मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ – झारखण्ड – पश्चिम बंगाल -त्रिपुरा और मिजोरम।


अक्षांश रेखा की सबसे ज्यादा लम्बाई किस राज्य में है – मध्य प्रदेश।
झारखण्ड की राजधानी रांची अक्षांश रेखा पर स्थित है।
रांची के बाद गुजरात की राजधानी गांधीनगर और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अक्षांश रेखा के बिलकुल समीप है।


भारत की सीमा–


भारत की स्थलीय सीमा की लम्बाई 15200 किमी है।


मुख्य भूमि की तटीय सीमा की लम्बाई 6100 किमी है


द्वीपों समेत भारत की तटीय सीमा की लम्बाई 7516 किमी है।


इस प्रकार भारत की कुल सीमा की लम्बाई– 15200 + 7516= 22716 किमी है।


भारत के 9 राज्य तट पर स्थित हैं जो इस प्रकार हैं–
1. गुजरात,
2. महाराष्ट्र,
3. गोवा,
4. कर्नाटक,
5. केरला,
6. तमिलनाडु,
7. आन्ध्र प्रदेश,
8. उड़ीसा,
9. पश्चिम बंगाल।


तटीय सीमा–


 भारत की कुल तटीय सीमा की लंबाई 7516 किमी है।


सबसे लम्बी तट रेखा वाला राज्य- गुजरात है।


 दूसरा सबसे लंबा तट रेखा वाला राज्य-आन्ध्र प्रदेश है।


 तीसरी सबसे बड़ा तट रेखा वाला राज्य- तमिलनाडु है।


सबसे छोटा तट रेखा वाला राज्य – गोवा है।


भारत की स्थलीय सीमा–


स्थलीय सीमा की लंबाई 15200 किमी है।
भारत के साथ 7 देश स्थलीय सीमा बनाते है:-
1. पाकिस्तान,
2. अफगानिस्तान,
3. चाइना,
4. नेपाल,
5. भूटान,
6. म्यांमार,
7. बांग्लादेश।


 पाकिस्तान के साथ सीमा बनाने वाले भारतीय राज्य है-
1. गुजरात
2. राजस्थान
3. पंजाब
4. जम्मू कश्मीर सीमा।


 बांग्लादेश के साथ सीमा बनाने वाले भारतीय राज्य हैं–


1. पश्चिमबंगाल,
2. मेघालय,
3. असम,
4. त्रिपुरा
5. मिजोरम।


त्रिपुरा एक ऐसा राज्य है जो बांग्लादेश से 3 तरफ से घिरा हुआ है।


 भारत के 4 राज्य ऐसे हैं जो 3 देशो के साथ सीमा बनाते हैं, ये हैं–
1. जम्मू और कश्मीर- यह पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और चीन के साथ सीमा बनाता है।
2. सिक्किम- यह नेपाल, चाइना और भूटान के साथ सीमा बनाता है।
3. पश्चिम बंगाल- जो कि नेपाल,भूटान और बांग्लादेश के साथ सीना बनाता है।
4. अरुणांचल प्रदेश – जो भूटान, म्यांमार और चीन के साथ सीमा बनाता है।


भारत का दक्षिणतम बिंदु- बंगाल की खाड़ी में ग्रेट निकोबार द्वीप पर स्थित “इंदिरा पॉइंट” है जो कि 6.4 उत्तरी अक्षांश पर स्थित है। यद्यपि भारत के मुख्य भूमि पर दक्षिणतम बिंदु- कन्याकुमारी(तमिलनाडु) है जो कि 8.4 उत्तरी अक्षांश पर स्थित है।


भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के नाम–


1. डूरंड रेखा- पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच स्थित है। ( 1947 के पहले भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच)
2. मैकमोहन रेखा- चीन और अरुणांचल प्रदेश के बीच।
3. रेडक्लिफ रेखा- भारत और पाकिस्तान की सीमा को रेडक्लिफ रेखा कहते हैं। यह रेखा 15 अगस्त-1947 को अस्तित्व में आयी।


 


 भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं।


भारत का 29 वां राज्य तेलंगाना 2 जून 2014 को अस्तित्व में आया।


क्षेत्रफल के अनुसार भारत के सबसे बड़ा राज्य क्रमशः- राजस्थान >मध्य प्रदेश>महाराष्ट्र>उत्तर प्रदेश


नोट– आँध्रप्रदेश के विभाजन से पहले क्षेत्रफल में चौथा सबसे बड़ा राज्य आंध्रप्रदेश था लेकिन 2 जून, 2014 के बाद चौथा सबसे बड़ा राज्य उत्तरप्रदेश हो गया।


 क्षेत्रफल के अनुसार सबसे छोटा राज्य- गोवा है।


2011 की जनगणना में जनसँख्या के आधार पर सबसे बड़ा राज्य- उत्तर प्रदेश(19 करोड़ 95लाख ) है।


जबकि जनसँख्या के अनुसार सबसे छोटा राज्य- सिक्किम है।


राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशो में क्षेत्रफल के अनुसार सबसे छोटा राज्य- लक्ष्यद्वीप है।


सबसे ज्यादा राज्यों के साथ सीमा बनाने वाला भारतीय राज्य कौन सा है – उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश 8 राज्यों और 1केंद्रशासित प्रदेश के साथ सीमा बनाता है जो इस प्रकार हैं–


उत्तराखंड,हिमांचल प्रदेश, हरयाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,झारखण्ड,बिहार और दिल्ली (केंद्रशासित प्रदेश)


क्षेत्रफल में भारत का सबसे बड़ा जिला गुजरात का कच्छ है।


क्षेत्रफल में भारत का सबसे छोटा जिला पांडिचेरी का ‘माहे जिला’ है जोकि केरल राज्य के भीतर है।


भारत में 6 लाख 41 हजार गाँव हैं।


भारत के 7 केंद्र शासित प्रदेश और उनकी राजधानियां इस प्रकार हैं–


1. चंडीगढ़ :- पंजाब और हरयाणा की राजधानी भी है।
2. दिल्ली :- राजधानी- नई दिल्ली
3. दादरा और नगर हवेली :- महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा पर स्थित है, इसकी राजधानी – सिलवासा है।
4. पुद्दुचेरी:- पुडुचेरी 4 जिलों से बना है। ये चारो जिले 3 राज्यों में स्थित हैं–
A. माहे- केरल में स्थित है
B. पांडिचेरी- तमिलनाडु में स्थित है
C. कराईकल – तमिलनाडु में स्थित है
D. यनम -आंध्र प्रदेश में स्थित है.


भारत के द्वीप, मूंगा द्वीप और प्रवाल जीव

“भारत के द्वीप, मूंगाद्वीप और प्रावालों की विशेषताएं”


भारत के दो केंद्रशासित प्रदेश द्वीपों पर बसे हुए हैं।
1- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
2- लक्ष्यद्वीप


अंडमान निकोबार द्वीप समूह–


अंडमान और निकोबार द्वीप समूह वास्तव में म्यांमार के अराकानयोमा पर्वत का ही बंगाल की खाड़ी में दक्षिणी विस्तार हैं।अंडमान निकोबार के उत्तर में कोको द्वीप हैं।इसे ‘मरकत द्वीप’ के नाम से भी जाना जाता है।
NOTE- आपसे अपेक्षा की जाती है कि इस द्वीप समूह को ठीक ढंग से समझने के लिए नीचे दिए विवरण को अपने एटलस को खोलकर पढ़ें।


उत्तरी द्वीपों को अंडमान के नाम से जाना जाता है जबकि दक्षिणी द्वीपों को निकबार के नाम से जाना जाता है।
अंडमान के सबसे उत्तर में ‘उत्तरी अंडमान द्वीप’ हैं।
उत्तरी अंडमान के दक्षिण में मध्य अंडमान द्वीप हैं और मध्य अंडमान के दक्षिण में दक्षिणी अंडमान हैं।
और दक्षिणी अंडमान के दक्षिण में लिटिल अंडमान द्वीप है। इन द्वीपों को उत्तर से दक्षिण दिखा में ऐसे देख सकते है–
उत्तरी अंडमान
मध्य अंडमान
दक्षिणी अंडमान
लिटिल अंडमान


अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की सबसे ऊंची चोटी ‘सैंडल पीक’ उत्तरी अंडमान में हैं।


‘मध्य अंडमान’ अंडमान निकोबार का सबसे बड़ा द्वीप है।
‘दक्षिणी अंडमान’ द्वीप ओर ही राजधानी ‘पोर्ट ब्लेयर’ हैं।
वहीँ निकोबार द्वीपसमूह का सबसे उत्तरी द्वीप ‘कारनिकोबार है।


लिटिल अंडमान द्वीप (अंडमान का सबसे दक्षिणी) और कार निकोबार द्वीप ( निकोबार का सबसे उत्तरी) के बीच मे ‘दस डिग्री चैनल’ हैं। अर्थात मोटे रूप में ‘दस डिग्री चैनल’ अंडमान और निकोबार द्वीपों के मध्य में स्थित है। चैनल क्या होता है और इसका नाम 10 डिग्री चैनल ही क्यों रखा गया? ये जानने के लिए आप वीडियो देख सकते हैं।


निकोबार द्वीप समूह में ‘कार निकोबार’ और ‘ग्रेट निकोबार द्वीप’ प्रमुख हैं।


‘ग्रेट निकोबार’ निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है। भारत का सबसे दक्षिणी बिन्दु ‘इंदिरा प्वाइंट’


‘ग्रेट निकोबार द्वीप’ पर ही स्थित हैं।


अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर नारकोंडम नामक एक सुषुप्त ज्वालामुखी है जबकि ‘बैरनद्वीप’ पर एक सक्रिय ज्वालामुखी है।


लक्षद्वीप– भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश इसी द्वीप पर बसा हुआ है। लक्ष्यद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप ‘आन्द्रोत’ हैं। लक्षद्वीप के दक्षिण में मिनीकॉय द्वीप है।


लक्षद्वीप एक प्रवाल द्वीप हैं अर्थात इसका निर्माण मूंगा चट्टानों से हुआ हैं।


भारत के अन्य द्वीप-
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1. गंगा सागर द्वीप और न्यूमूर द्वीप — ये दोनों बंगाल की खाड़ी में हुगली नदी के मुहाने पर स्थित हैं।


2. ह्वीलर द्वीप- यह बंगाल की खाड़ी में उड़ीसा के तट पर ब्राह्मणी नदी के मुहाने पर है। इस द्वीप पर मिसाइलों का परीक्षण होता हैं।


3. श्री हरिकोटा द्वीप- यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा के पास पुलिकट झील में स्थित हैं। इस द्वीप पर इसरो का उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र (लॉंचिंग पैड) हैं जिसका नाम ‘सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र है।


4. पम्बन द्वीप- यह तमिलनाडु और श्रीलंका के मध्य ‘मन्नार की खाड़ी’ में स्थित है जोकि वास्तव में तमिलनाडु का द्वीप है। रामेश्वरम और धनुष्कोडी नामक स्थल पम्बन द्वीप पर ही स्थित हैं। इसे ‘रामेश्वरम द्वीप’ भी कहा जाता है। धनुष्कोडी इस द्वीप का सबसे दक्षिणी छोर है। रामसेतु अथवा ‘आदम का पुल’ धनुष्कोडी से ही प्रारंभ होता है और श्रीलंका के ‘तलाईमन्नार द्वीप’ तक जाता है। धनुष्कोडी से लेकर तलाईमन्नार तक मन्नार की खाड़ी में डूबी हुई द्वीपों की सृंखला ही ‘रामसेतु’ कहलाती है। यानी पम्बन द्वीप, रामेश्वरम, धनुष्कोडी और रामसेतु ये सभी मन्नार की खाड़ी में ही स्थित हैं।


5. अलियाबेट द्वीप- यह गुजरात के दक्षिण में खम्भात की खाड़ी में नर्मदा नदी के मुहाने पर है। इस द्वीप में पेट्रोलियम का भंडार हैं।


6. एलीफैंटा द्वीप- यह मुम्बई के पास अरबसागर में है।


7. कोकोद्वीप- यह बंगाल की खाड़ी में अंडमान द्वीपों के उत्तर में स्थित म्यांमार का एक द्वीप है जिसपर चीन अपने सैन्यबेस का निर्माण कर रहा है।


प्रवाल जीव और प्रवाल भित्ति
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यह दो सेंटी मीटर का एक समुद्री जीव है जो चूने पर निर्वाह करता है। प्रवाल जीव तट के पास छिंछले समुद्र में करोड़ों की संख्या में कॉलोनी बना के रहते हैं। इनका विकास उष्णकटिबंध सागरों में छिंछले समुद्रों में ही होता है जहां सूर्य का प्रकाश पहुंचता है। प्रवाल कैल्शियम कार्बोनेट के खोल में रहते हैं और जब एक प्रवाल की मृत्यु हो जाती है तो उसके ऊपर दूसरा प्रवाल अपने खोल का निर्माण करता है। इस प्रकार जब प्रवाल करोड़ों की संख्या में एक के ऊपर एक विकास करते हुए सागर सतह तक आ जाते हैं तो समुद्र में विशाल चट्टाननुमा ‘प्रवाल भित्तियों’ या ‘प्रवाल द्वीपों का निर्माण हो जाता है ( पूरी जानकारी के लिए वीडियो देखें)।
उदाहरण के लिए लक्षद्वीप, मिनिकॉय द्वीप और उसके दक्षिण में मालदीप द्वीपों का निर्माण मूँगा अथवा प्रवाल चट्टानों सही हुआ है।
इसी प्रकार आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के साथ साथ हजारों किमी फैले ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ (महान प्रवाल भित्ति) का निर्माण भी मूँगा चट्टानों से ही हुआ है।


प्रवालभित्तियों का महत्त्व-
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प्रवाल जीव के खोल अर्थात मूंगा चट्टान लाल, गुलाबी, सफेद, हरे रंग के होते हैं। इसके आस पास बहुत सारी मछलियां होती हैं क्योंकि प्रवाल भित्तियां मछलियों और अन्य समुद्री जीवों के लिए ‘नर्सरी’ का काम करती है जहां इन जीवों का प्रारंभिक विकास होता है और प्रवालभित्तियों में ही समुद्री जीवों को भोजन सुरक्षा और आवास प्राप्त होता है। ये समुद्री गोताखोरों के लिए आकर्षण के केंद्र होते हैं।
‘प्रवाल भित्तियों’ को ‘महासगारों का वर्षावन’ भी कहते हैं क्योंकि ये समुद्री जैवविविधता के भण्डार होते हैं।


भारत के दर्रे और ग्लेशियर

काराकोरम श्रेणी पर 5 ग्लेशियर हैं।


ससाइमी ग्लेशियर — काराकोरम श्रेणी भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर
सियाचिन ग्लेशियर – काराकोरम श्रेणी
हिस्पर ग्लेशियर – काराकोरम श्रेणी
बियाफो ग्लेशियर -काराकोरम श्रेणी
बाल्टोरो ग्लेशियर – काराकोरम श्रेणी


सियाचिन ग्लेशियर काराकोरम दर्रे के पास है तथा सियाचिन ग्लेशियर से एक छोटी नदी नुब्रा नदी निकलती है तथा नुब्रा नदी के आसपास का क्षेत्र नुब्रा नदी घाटी का क्षेत्र कहलाता है।


जम्मू कश्मीर के सारे ग्लेशियर काराकोरम श्रेणी पर अवस्थित है।


– गंगोत्री ग्लेशियर – उत्तराखंड
– मिलाम ग्लेशियर – उत्तराखंड
– यमुनोत्री ग्लेशियर – उत्तराखंड
– जेमू ग्लेशियर —— सिक्किम


तीस्ता नदी जेमू ग्लेशियर से निकलती है एवं ब्रम्हपुत्र नदी में मिल जाती है।


दर्रा – दो पहाड़ियों के बीच का गैप ।
– दर्रा का निर्माण पूर्ववर्ती नदियों के द्वारा हुआ है ।
– दर्रा पहाड़ियों के बीच रास्ता प्रदान करते हैं।


 काराकोरम दर्रा – जम्मू कश्मीर


भारत में सबसे ऊंचाई पर स्थित दर्रा 
– सियाचिन ग्लेशियर के पास पाक अधिकृत कश्मीर (pok) से होकर जाने वाला चीन-पाकिस्तान सड़क मार्ग काराकोरम दर्रे से होकर गुजरता है।
– खार्दुनाला दर्रा -जम्मू कश्मीर लद्दाख श्रेणी पर
– लेह से सियाचिन जाने के लिए खार्दुनाला दर्रा होते हुए नुब्रा घाटी होते हुए सियाचिन जाना होता है।
– बुर्जिल दर्रा – जम्मू कश्मीर में जास्कर श्रेणी पर
– जोजिला दर्रा – जम्मू कश्मीर में जास्कर श्रेणी पर
– श्रीनगर – वृहद हिमालय तथा लघु हिमालय के बीच
– परीपंजाल दर्रा – जम्मू कश्मीर में परीपंजाल श्रेणी पर
– बनिहाल दर्रा – जम्मू कश्मीर में परीपंजाल श्रेणी पर
– जम्मू से श्रीनगर जाने वाला सड़क  बनिहाल दर्रा से होकर गुजरता है इस सड़क मार्ग को जम्मू कश्मीर सड़क मार्ग कहा जाता है।
– जवाहर सुरंग बनिहाल दर्रा से होकर गुजरती है अर्थात जम्मू कश्मीर सड़क मार्ग जवाहर सुरंग से होकर गुजरती है। तथा जम्मू कश्मीर सड़क मार्ग को  NH 1A कहा जाता है।
– रोहतांग दर्रा – हिमाचल प्रदेश
– बारालाचाला दर्रा – हिमाचल प्रदेश, जास्कर श्रेणी पर
– मंडी से लेह जाने वाला सड़कमार्ग बारालाचाला दर्रा से होकर गुजरता हैं।


शिपकिला दर्रा


हिमाचल प्रदेश और तिब्बत की सीमा पर शिमला धौलाधार श्रेणी पर है। शिमला तथा मंडी से तिब्बत जाने के लिए शिपकिला दर्रा से होकर गुजरना पड़ता हैं।
– मुलिंग दर्रा -उत्तराखंड
– मनाला दर्रा – उत्तराखंड
– नीतिला दर्रा – उत्तराखंड
– लिपुलेख दर्रा – उत्तराखंड
– भारतीय तीर्थयात्री मानसरोवर झील तथा कैलाश पर्वत (तिब्बत) उत्तराखंड के दर्रो से होकर ही जाते हैं।
– नाथूला दर्रा – सिक्किम
– जेलेपला दर्रा – सिक्किम


– सिक्किम के बीचोबीच एक संकरा मैदानी इलाका वाला भाग है जिसे चुंबी घाटी कहते हैं। (खड़े ढाल वाली पहाड़ियों के बीच) चुंबी घाटी से तिब्बत जाने का रास्ता नाथूला दर्रा एवं जेलेपला दर्रा से होकर गुजरता है।
– भारत चीन के बीच सड़क मार्ग का व्यापार अधिकांशतः नाथूला दर्रा से होता है।
– बुमडिला दर्रा है या बूमला दर्रा – अरुणाचल प्रदेश
– यांग्याप दर्रा – अरुणाचल प्रदेश – अरुणाचल प्रदेश तथा तिब्बत की सीमा पर
– कांगलीफर्पोला दर्रा – अरुणाचल प्रदेश
– दिफू दर्रा – अरुणाचल प्रदेश
– पांगसाड दर्रा – अरुणाचल प्रदेश
– लिखापानी दर्रा – अरुणाचल प्रदेश -अरुणाचल प्रदेश तथा म्यांमार के सीमा पर
– अरुणाचल प्रदेश में ताबांग एक जगह है, जहां बौद्ध निवास करते हैं जिसके कारण चिंन ताबांग पर अपना दावा करता है। तथा दोनों मंगोलायड प्रांत के हैं।
-. तुजू दर्रा -मणिपुर {मणिपुर – म्यांमार सीमा पर}


प्रायद्वीपीय भारत का पठार: भाग-1

प्रायद्वीपीय पठार


प्रायद्वीपीय पठार से पूर्व तथा पश्चिम की ओर बहुत सारी नदियों ने एक लंबे समय तक समुद्र में तथा बाहर के क्षेत्रों में अवसादों का जमाव किया जिसके कारण समुद्र का पानी पीछे हट गया तथा इसी कारण प्रायद्वीपीय पठार के दोनों तरफ समतल तट पाए जाते हैं जिसे तटीय मैदान कहा जाता है।


प्रायद्वीपीय पठार का भाग गोंडवानालैंड का भाग है तथा अफ्रीका से टूटकर उत्तर पूर्व की ओर प्रवाहित हुआ।


– प्रायद्वीपीय पठार का भाग हिमालय से बहुत प्राचीन है तथा इसके उत्तर पूर्व में प्रवाहित होने के कारण ही टेथिस सागर में करोड़ों वर्षों में जमा मलवा या अवसादी चट्टानों में दबाव पढ़ा जिससे उसमें वलन (मोड़) पड गया जिससे हिमालय के तीनों श्रृंखलाओं का रचना हुआ। हिमालय का उत्थान अभी भी जारी है क्योंकि प्रायद्वीपीय भारतीय भूखंड अभी भी उत्तर पूर्व की ओर अभी भी अग्रसर हो रहा है जिसके कारण हिमालय का उत्थान अभी भी जारी है। यही कारण है कि हिमालय पर अभी भी भूकंप आते हैं हिमालय आंतरिक रूप से अस्थिर है जबकि प्रायद्वीपीय भारत का पठार विवर्तनिकी रूप से पूरी तरह स्थिर है इसी कारण प्रायद्वीपीय धरती के अंदर होने वाली गतिविधि को विवर्तनिकी गतिविधि कहते हैं।
नीलगिरी पर्वत का विस्तार – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक


अरावली पर्वत –


– प्रायद्वीपीय भारत के पठार के उत्तर पश्चिम सिरे पर अरावली पर्वत का विस्तार है।
– अरावली पर्वत गुजरात के पालनपुर से लेकर दिल्ली के मजनू हिल तक विस्तृत है।
– लंबाई = लगभग 800 किलोमीटर
– अरावली का अधिकतम लं० राजस्थान राज्य में है।
– राजस्थान में अरावली के दक्षिणी भाग को जर्रा पहाड़ी के नाम से दिल्ली में इसे दिल्ली रिज के नाम से जाना जाता है।
– अरावली का सर्वोच्च शिखर गुरु शिखर राजस्थान के माउंट आबू में है।
माउंट आबू में प्रसिद्ध जैन मंदिर दिलवाड़ा मंदिर स्थित है।
– अरावली पर्वत दुनिया का सबसे प्राचीन वलित पर्वत है।
– बनास नदी अरावली को पश्चिम से पूर्व में पार करती है और चंबल नदी में मिल जाती है।


मालवा का पठार


– मालवा पठार अरावली के दक्षिण में तथा विंध्य पर्वत के उत्तर में स्थित है।
– मालवा पठार का ढाल उत्तर की तरफ है।
– मालवा पठार का निर्माण ज्वालामुखी लावा से हुआ है अर्थात बेसाल्ट चट्टानों से हुआ है।
लावा के जमने से निर्मित चट्टान को बेसाल्ट चट्टान कहते हैं।
यही कारण है कि मालवा पठार पर काली मिट्टी पाई जाती है।
– मालवा पठार का ढाल उत्तर की तरफ है अतः मालवा पठार से बहने वाली नदियां चंबल, काली सिंध, तथा बेतवा नदी उत्तर की ओर प्रवाहित होती है। चंबल और उसकी सहायक नदियों ने मालवा पठार को बहुत अधिक अपरदित कर दिया है, जिसके कारण मालवा पठार पर बहुत सारे गहरी एवं चौड़ी नाली की आकृति बन गई है एवं मालवा पठार बहुत उबड़ खाबड़ हो गया है। ऐसी भूमि को उत्खात भूमि या बिहड़ भूमि कहते हैं।


सतपुड़ा पहाड़

सतपुड़ा पहाड़ सतपुड़ा रेंज मध्य भारत में स्थित पहाड़ियों और पहाड़ों की एक श्रृंखला है, जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात रा...