“भारत के द्वीप, मूंगाद्वीप और प्रावालों की विशेषताएं”
भारत के दो केंद्रशासित प्रदेश द्वीपों पर बसे हुए हैं।
1- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
2- लक्ष्यद्वीप
अंडमान निकोबार द्वीप समूह–
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह वास्तव में म्यांमार के अराकानयोमा पर्वत का ही बंगाल की खाड़ी में दक्षिणी विस्तार हैं।अंडमान निकोबार के उत्तर में कोको द्वीप हैं।इसे ‘मरकत द्वीप’ के नाम से भी जाना जाता है।
NOTE- आपसे अपेक्षा की जाती है कि इस द्वीप समूह को ठीक ढंग से समझने के लिए नीचे दिए विवरण को अपने एटलस को खोलकर पढ़ें।
उत्तरी द्वीपों को अंडमान के नाम से जाना जाता है जबकि दक्षिणी द्वीपों को निकबार के नाम से जाना जाता है।
अंडमान के सबसे उत्तर में ‘उत्तरी अंडमान द्वीप’ हैं।
उत्तरी अंडमान के दक्षिण में मध्य अंडमान द्वीप हैं और मध्य अंडमान के दक्षिण में दक्षिणी अंडमान हैं।
और दक्षिणी अंडमान के दक्षिण में लिटिल अंडमान द्वीप है। इन द्वीपों को उत्तर से दक्षिण दिखा में ऐसे देख सकते है–
उत्तरी अंडमान
मध्य अंडमान
दक्षिणी अंडमान
लिटिल अंडमान
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की सबसे ऊंची चोटी ‘सैंडल पीक’ उत्तरी अंडमान में हैं।
‘मध्य अंडमान’ अंडमान निकोबार का सबसे बड़ा द्वीप है।
‘दक्षिणी अंडमान’ द्वीप ओर ही राजधानी ‘पोर्ट ब्लेयर’ हैं।
वहीँ निकोबार द्वीपसमूह का सबसे उत्तरी द्वीप ‘कारनिकोबार है।
लिटिल अंडमान द्वीप (अंडमान का सबसे दक्षिणी) और कार निकोबार द्वीप ( निकोबार का सबसे उत्तरी) के बीच मे ‘दस डिग्री चैनल’ हैं। अर्थात मोटे रूप में ‘दस डिग्री चैनल’ अंडमान और निकोबार द्वीपों के मध्य में स्थित है। चैनल क्या होता है और इसका नाम 10 डिग्री चैनल ही क्यों रखा गया? ये जानने के लिए आप वीडियो देख सकते हैं।
निकोबार द्वीप समूह में ‘कार निकोबार’ और ‘ग्रेट निकोबार द्वीप’ प्रमुख हैं।
‘ग्रेट निकोबार’ निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है। भारत का सबसे दक्षिणी बिन्दु ‘इंदिरा प्वाइंट’
‘ग्रेट निकोबार द्वीप’ पर ही स्थित हैं।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर नारकोंडम नामक एक सुषुप्त ज्वालामुखी है जबकि ‘बैरनद्वीप’ पर एक सक्रिय ज्वालामुखी है।
लक्षद्वीप– भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश इसी द्वीप पर बसा हुआ है। लक्ष्यद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप ‘आन्द्रोत’ हैं। लक्षद्वीप के दक्षिण में मिनीकॉय द्वीप है।
लक्षद्वीप एक प्रवाल द्वीप हैं अर्थात इसका निर्माण मूंगा चट्टानों से हुआ हैं।
भारत के अन्य द्वीप-
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1. गंगा सागर द्वीप और न्यूमूर द्वीप — ये दोनों बंगाल की खाड़ी में हुगली नदी के मुहाने पर स्थित हैं।
2. ह्वीलर द्वीप- यह बंगाल की खाड़ी में उड़ीसा के तट पर ब्राह्मणी नदी के मुहाने पर है। इस द्वीप पर मिसाइलों का परीक्षण होता हैं।
3. श्री हरिकोटा द्वीप- यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा के पास पुलिकट झील में स्थित हैं। इस द्वीप पर इसरो का उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र (लॉंचिंग पैड) हैं जिसका नाम ‘सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र है।
4. पम्बन द्वीप- यह तमिलनाडु और श्रीलंका के मध्य ‘मन्नार की खाड़ी’ में स्थित है जोकि वास्तव में तमिलनाडु का द्वीप है। रामेश्वरम और धनुष्कोडी नामक स्थल पम्बन द्वीप पर ही स्थित हैं। इसे ‘रामेश्वरम द्वीप’ भी कहा जाता है। धनुष्कोडी इस द्वीप का सबसे दक्षिणी छोर है। रामसेतु अथवा ‘आदम का पुल’ धनुष्कोडी से ही प्रारंभ होता है और श्रीलंका के ‘तलाईमन्नार द्वीप’ तक जाता है। धनुष्कोडी से लेकर तलाईमन्नार तक मन्नार की खाड़ी में डूबी हुई द्वीपों की सृंखला ही ‘रामसेतु’ कहलाती है। यानी पम्बन द्वीप, रामेश्वरम, धनुष्कोडी और रामसेतु ये सभी मन्नार की खाड़ी में ही स्थित हैं।
5. अलियाबेट द्वीप- यह गुजरात के दक्षिण में खम्भात की खाड़ी में नर्मदा नदी के मुहाने पर है। इस द्वीप में पेट्रोलियम का भंडार हैं।
6. एलीफैंटा द्वीप- यह मुम्बई के पास अरबसागर में है।
7. कोकोद्वीप- यह बंगाल की खाड़ी में अंडमान द्वीपों के उत्तर में स्थित म्यांमार का एक द्वीप है जिसपर चीन अपने सैन्यबेस का निर्माण कर रहा है।
प्रवाल जीव और प्रवाल भित्ति
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यह दो सेंटी मीटर का एक समुद्री जीव है जो चूने पर निर्वाह करता है। प्रवाल जीव तट के पास छिंछले समुद्र में करोड़ों की संख्या में कॉलोनी बना के रहते हैं। इनका विकास उष्णकटिबंध सागरों में छिंछले समुद्रों में ही होता है जहां सूर्य का प्रकाश पहुंचता है। प्रवाल कैल्शियम कार्बोनेट के खोल में रहते हैं और जब एक प्रवाल की मृत्यु हो जाती है तो उसके ऊपर दूसरा प्रवाल अपने खोल का निर्माण करता है। इस प्रकार जब प्रवाल करोड़ों की संख्या में एक के ऊपर एक विकास करते हुए सागर सतह तक आ जाते हैं तो समुद्र में विशाल चट्टाननुमा ‘प्रवाल भित्तियों’ या ‘प्रवाल द्वीपों का निर्माण हो जाता है ( पूरी जानकारी के लिए वीडियो देखें)।
उदाहरण के लिए लक्षद्वीप, मिनिकॉय द्वीप और उसके दक्षिण में मालदीप द्वीपों का निर्माण मूँगा अथवा प्रवाल चट्टानों सही हुआ है।
इसी प्रकार आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के साथ साथ हजारों किमी फैले ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ (महान प्रवाल भित्ति) का निर्माण भी मूँगा चट्टानों से ही हुआ है।
प्रवालभित्तियों का महत्त्व-
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प्रवाल जीव के खोल अर्थात मूंगा चट्टान लाल, गुलाबी, सफेद, हरे रंग के होते हैं। इसके आस पास बहुत सारी मछलियां होती हैं क्योंकि प्रवाल भित्तियां मछलियों और अन्य समुद्री जीवों के लिए ‘नर्सरी’ का काम करती है जहां इन जीवों का प्रारंभिक विकास होता है और प्रवालभित्तियों में ही समुद्री जीवों को भोजन सुरक्षा और आवास प्राप्त होता है। ये समुद्री गोताखोरों के लिए आकर्षण के केंद्र होते हैं।
‘प्रवाल भित्तियों’ को ‘महासगारों का वर्षावन’ भी कहते हैं क्योंकि ये समुद्री जैवविविधता के भण्डार होते हैं।
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